80 साल के लोगों में कम उम्र के लोगों की अपेक्षा डायबिटीज एक तिहाई कम

80 साल के लोगों में कम उम्र के लोगों की अपेक्षा डायबिटीज एक तिहाई कम

सेहतराग टीम

आज 14 नवंबर है और आज के ही दिन वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। इसे मनाने का मुख्य उद्देशय लोगों में डायबिटीज को लेकर जागरूकता फैलाना है। डायबिटीज के बारे में हर वो जानकारी देना जो लोगों के लिए जरूरी है, जिससे लोग डायबिटीज की बीमारी को समझ सके और जितना हो सके उससे बचाव कर सकें। डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है। इसकी चपेट में आए व्यक्ति का स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन गिरता जाता है और इस बीमारी की चपेट में हर उस व्यक्ति के आने की संभावना है जो शारीरिक परिश्रम नहीं करता है यानी मेहनत नहीं करता है और आराम की जिंदगी जीता है। गलत तरीके का खान-पान और रहन-सहन इस बीमारी में सहायक होते हैं। यह बीमारी बच्चे से बूढ़े किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। लेकिन मध्य उम्र से बुढ़ापे तक के लोगों को इसकी आशंका अधिक रहती है। लेकिन हाल ही में एक शोध में खुलासा हुआ कि 80 साल तक जी रहे भारतियों में डायबिटीज कम उम्र के नागरिकों के मुकाबले एक तिहाई कम  है।

आकड़ों के अनुसार 80 वर्ष से अधिक उम्र के 9.7 फीसदी भारतीय डायबिटीज से ग्रसित हैं जब कि 60-69 उम्र के बीच के 13.1 फीसदी लोग डायबिटीजसे ग्रसित हैं। वहीं 70-79 उम्र के बीच के 13.2 फीसदी भारतीय डायबिटीज से ग्रसित हैं। उम्र बढ़ने के बाद यह रोग इसलिए कम हो गया क्योंकि रोगी बचे ही नहीं और जो बचे हैं उनकी उम्र 80 साल से अधिक है। उनमें 60-69 की आयुवर्ग के लोगों की तुलना में डायबिटीज कम या यूं कहे कि एक तिहाई कम है। ये तथ्य एम्स के राजेंद्र प्रसाद सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंस की नेशनल डायबिटीज या डायबिटीज रेटिनोपैथी सर्वे की 2015-2019 रिपोर्ट से सामने आए हैं। नई पीढ़ी में डायबिटीज के खतरे बढ़ने से हृदय रोग, स्ट्रोक, किडनी रोग और नेत्रहीनता भी सेहत के लिए बड़ा खतरा बन रहे हैं।

10 साल में दो गुना बढ़ा रोग-

केंद्र सरकार के अनुसार विश्व के 42.5 करोड़ डायबिटीज रोगी में एक चौथाई भारत में हैं। नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे 4 सर्वे अनुसार 2006 के मुकाबले 2016 तक देश में डायबिटीज के रोगी दो गुना हो चुके हैं। 35 से 39 वर्ष की 3.5 प्रतिशत महिलाओं और 3.6 प्रतिशत पुरुषों को डायबिटीज है।

4.75 फीसदी लोगों में डायबिटीज-

2018 में 6.51 करोड़ नागरिकों की क्लीनिकल जांच में 31 लाख यानी लगभग 4.75 फीसदी लोगों में डायबिटीज मिला।

भारत में इसलिए डायबिटीज नुकसान कर रहा है-

हर स्तर पर डायबिटीज को लेकर लोगों में अब भी जागरूकता कम है। डायबिटीज से प्रभावित लोगों में 60 फीसदी लोग अपनी देखभाल ठीक से नहीं करते हैं। वह शुगर लेवल को भी कंट्रोल नहीं करते हैं। 50 फीसदी लोगों ने तो कभी आंखो की जांच भी नहीं करवाई जबकि उन्हें रेटिनोपैथी का पूरा खतरा है।

शहरों में गांवों से 3 गुना ज्यादा-

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में 7.30 करोड़ व्यस्क डायबिटीज की चपेट में हैं। शहरों में 10.9 से 14.2 फीसदी आबादी डायबेटिक है तो गांवों में 3 से 7.8 फीसदी लोग डायबेटिक हैं।

डायबिटीज को ऐसे जानें-

डायबिटीज तीन टाइप का है।

टाइप 1 में अग्नाशय इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन बंद आकर देता है। यह हार्मोन कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन को पचाने में मदद करता है।

टाइप 2 डायबिटीज में पाचन तंत्र से जुडी कोशिकाएं इंसुलिन से प्रक्रिया नहीं कर पाती हैं। समय के साथ शरीर में इंसुलिन का उत्पादन बंद हो जाता है। जिसकी वजह विभिन्न अंदर के अंग बेकार होने लगते हैं, जो अक्सर मौत की वजह बनते हैं।

डायबिटीज का तीसरा प्रकार गर्भावस्था से जुड़ा है। जिसमें महिला का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।

बचाव:

टाइप 1 में व्यक्ति पहले से कुछ खास नहीं कर सकता है।

टाइप 2 में पौष्टिक भोजन, नियमित व्यायाम और वजन पर काबू करके इससे बचा जा सकता है। इसमें 90 फीसदी डायबिटीज को रोका जा सकता है।                                                                              

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